सुनने अटपटा है, लेकिन सच है ,हो सकता है इस लेख के बाद सेकुलरों की नज़रे मेरे ऊपर तीखी हो जाए, गालियाँ भी सुननी पड़े, या अरब कनेक्टेड लोग मेरे ऊपर फतवा जारी कर दें, या सेकुलर कोंग्रेस सरकार करवाई कर दे (वो बात अलग है की अलगावादी गिलानी और अपने को आए एस आई का एजेंट कहने वाले बुखारी को सर आँखों पे रखती है ) . फिर भी सच तो बताना ही पड़ेगा. वो बात अलग है की ये हिंदू सच बताने के लिए तलवार का सहारा नहीं लेगा.
लेकिन इससे पहले ये जान लेना जरुरी है की इस्लाम क्या है ????
इस्लामी कठमुल्लो ने इस्लाम का मतलब "अमन" (शांति) बताया, एसी शांति जिसको फ़ैलाने के लिए तलवार की जरुरत आन पड़ी. क्यों आन पड़ी ये नहीं बताया.
मोहम्मद को अल्लाह का अंतिम बन्दा बताया जो अल्लाह से सीधे संवाद स्थापित करता था, आईये पहले इस तथाकथित शान्ति के दूत के बारे में जान लें .
मोहम्मद का जन्म ५७० इसा पूर्व अरब के मक्का शहर में हुआ था, अल्लाह की इनके ऊपर बड़ी रहमत थी , पहली रहमत की अल्लाह ने पिता का साया इस अल्लाह के बंदे से जन्म होने के पूर्व ही छीन लिया था और जन्नत में कँवारी ७२ हूरों के साथ मजा लेने के लिए भेज दिया, और दूसरी रहमत करने के लिए अल्लाह ने छः साल का समयावधि लिया सो छः साल के उम्र में माँ भी निकल लीं. इनकी माँ को जन्नत में ७२ लौंडो की सेवा मिली होगी या नहीं अल्लाह ही जनता है . फिर इनकी देख रेख का जिम्मा इनके दादा जी ने लिया, अब चुकी अल्लाह के रहमत का कोई ठिकाना नहीं सो दो साल बाद ये भी जन्नत चल दिए ७२ हूरों का मजा लेने. यानी अब तक १४४ कँवारी हूरे मोहम्मद के खानदान के नाम अल्लाह ने कर दिया. इसके बाद इनका जिम्मा मिला इनके चचा अबू तालिब को. बात ये है की ये खुद अल्लाह का एक रूप थे जो इस दुनिया को प्रकाश दिखने और बोझ से हल्का करने आये थे अलबत्ता बार बार ये खुद ही बोझ बनते रहे.
अब आगे देखिये, जब २५ साल के हुए तो इन्होने एक ४० वर्षीय महिला खादिजाह से विवाह सिर्फ इसलिए किया क्योकिं वो एक बड़ी व्यापारी थी. मजे की बात ये है की मोहम्मद ४० वरसो तक किंकर्तव्य विमूढ़ थे, जब ये ४० साल के हुए तब इन्हें अल्लाह का पहला अनुभव हुआ ६१० ईसापूर्व में. फिर लगे उलटी सीधी बाते बोलने (की दुनिया बचाने का कांट्रेक्ट बस अल्लाह के पास है और कोई टेंडर नहीं लिया जायेगा ) जिससे लोगो में आक्रोश बढ़ा, और अल्लाह का ये बन्दा चोरों की तरह फरार हो गया. उसके बाद मक्का मदीना में खूब लड़ाईयां हुई शरिया कानून को ले के. ६३० इसा पूर्व जनवरी माह में इसा ने दस हजार खूंखार कातिलों की फ़ौज खड़ी की और चल पड़े मक्का विरोधियों को दोजख भेजने . काबा की ३६० मूर्तियां तोड के और सबको क़त्ल करने के बाद मुसल्मानियत उर्फ इस्लाम की नीव रखी, ये है शांतिपूर्ण इस्लाम के स्थापना का इतिहास .
जिस धर्म की स्थापना ही तलवार के बल पे हुयी हो वो धर्म है या विकृति या कुरीति आप ही निर्णय कीजिये.
और इसी तलवार के दम पे इसे पुरे विश्व में फैलाया गया.
चुकी भारत वैदिक सभ्यता और अहिंसा में विश्वास रखता था सो यहाँ कब्ज़ा जमाना जादा आसान था.
इस्लाम की कुछ प्रमुख एवं हास्यपद बातें :
१. खतना :
हर मुस्लिम का एक़ कामन पेटेंट ठप्पा होगा होगा अर्थात "खतना" होन अनिवार्य है, इस प्रकिया में नवजात बच्चे के लिंग का अगला हिस्सा उतार दिया जाता है .
अब सोचिये जिस धर्म में पैदा होते ही दर्द है उसमे शान्ति कहाँ ? और इस्लाम इसका कोई तर्क भी नहीं दे पाया है की ऐसा क्यों करें ??
२. हर मुस्लिम ४ बीवियां रख सकता है :
यानि स्त्री को भोग की वस्तु समझा गया, शुक्रवार के नमाज के बाद रविवार तक आराम , उसके बाद सोमवार से बुध्ध्वार तक समय सारिणी बना लो किस दिन किसके साथ सोना है .
३. नसबंदी हराम है :
जम के बच्चे पैदा करो, जहाँ रहो वहाँ बहुल हो जाओ और अलगाव वादी प्रक्रिया शुरू कर दो चाहे चेचन्या हो या कश्मीर . यानी आठ आठ -दस दस बच्चे पैदा करो फिर सरकार से कहो की आरक्षण दो नहीं तो वोट नहीं देंगे .
४. काफिर :
जो इस्लाम न माने वो काफिर , और कुरआन काफिरों को क़त्ल करने की इजाजत देता है, यानि जितने भी हिंदू है जो इस्लाम नहीं मानते वो काफ़िर है , यदि उनको मर दिया जाए तो जन्नत नसीब होगी जहाँ ७२ कुँवारी हूरे उनका इन्तजार कर रही होंगी.
५ . जन्नत :
काफिरो को मरने पे जन्नत नसीब होगी जहाँ ७२ कुँवारी हूरे उनका इन्तजार कर रही होंगी.
६ . मूर्तिपूजा निषेध :
इस्लाम में पत्थर पूजा निषेध है , लेकिन फिर भी काबा के पत्थर में पत्थर मारने होड लगी रहती है .
७. मजहब देश से बड़ा :
इनके लिए मजहब हमेशा देश से बड़ा होता है , यदि किसी देश का राष्ट्र गान इनके मजहब के हिसाब से नहीं है तो इनके लिए हराम है और दूसरा उदहारण कश्मीर में पाक के साथ यूध्ध का, जब कश्मीरी इस्लाम सेनाए पाकिस्तान से बस इसलिए मिल गयी क्योकि पकिस्तान एक इस्लाम देश है अपने कौम को किनारे रख के और ये बात पूरा विश्व जानता है शायद इसीलिए मुसलमानों पे कोई भी देश भरोसा करने को तैयार नहीं, इनका दोगलापन देख के , खाते कही और का और सोचते सिर्फ अरब का हैं .
८. हिंदू विरोधी धर्म :
इस्नके सारे कांड वैदिक से उलटे होते हैं , चाहे वो लिखना हो या धोना , शायद किसी समय पैर की बजाय सर से भी चलने की कोशिश की होगी (उल्टा करने के चक्कर में ) सो चुन्डी घिस गयी होगी, इसीलिए कोई भी मुसलमान चुन्डी नहीं रखता शर्म के मारे.
९ जिहाद :
जिहाद शब्द का जन्म इस्लाम के जन्म के साथ ही हो गया था। जिहाद अरबी का शब्द है जिसका अर्थ है जोइस्लाम न माने उसको समाप्त कर दो "। भारत में पहला आक्रमणकारी मोहम्मद बिन कासिम था जिसने 8वीं शताब्दी में सिंध पर आक्रमण किया था। तत्पश्चात् 11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी तथा उसके बाद मोहम्मद गोरी आक्रांता के रूप में भारत आया।
इस्लाम ग्रहण करने से पूर्व मध्य एशिया के कबीले आपस में ही मार-काट और लड़ाइयां करते थे। अत्यधिक समृद्ध भारत उनके लिए आकर्षण का केन्द्र था। और जब इन कबीलों ने इस्लाम ग्रहण कर लिया तो इनका उद्देश्य दोहरा हो गया। लूट-पाट करने के साथ-साथ विजित देश में बलपूर्वक इस्लाम का प्रसार करना। इसलिए कहा जाता था कि इस्लाम जहां जाता था-एक हाथ में तलवार, दूसरे में कुरान रखता था।
जिहाद से भारत का सम्बंध हजार वर्ष पुराना है। भारत में वर्षों शासन करने वाले बादशाह भी जिहाद की बात करते थे। 13वीं 14वीं शताब्दी के दौरान मुसलमानों के अंदर ही एक अन्य समानांतर धारा विकसित हुई। यह थी सूफी धारा। हालांकि सूफी धारा के अगुआ भी इस्लाम का प्रचार करते थे किन्तु वे प्रेम और सद्भाव से इस्लाम की बात करते थे। किन्तु बादशाहों पर सूफियों से कहीं अधिक प्रभाव कट्टरपंथियों का था। इस्लाम के साथ-साथ जिहाद शब्द और जिहादी मनोवृत्ति को भारत पिछले हजार वर्षों से झेल रहा है।
अब चुकी भारत वैदिक और अहिंसा वादी था सो इन बर्बर नीच पापियों का प्रभुत्व जल्दी जम गया फिर भी बहुत जादा नुक्सान न कर पाए .
very well said about islam
ReplyDeleteनौकरी (job) करने वाले दोस्त कृपया जरूर पढ़ें :-
ReplyDeleteभारत में लगभग 70% लोग ऐसे हैँ जो 10 से 15000/= की नौकरी करते हैं उनके बॉस या मालिक उनसे 8 से 12 घंटे की कड़ी मेहनत करवाते हैं तब जाकर उन्हें पगार (salary) देते हैं उस पैसे से वे लोग अपने घर का खर्च भी ठीक से नहीं चला पाते दोस्तों मै भी ऐसा ही था सोचता रहता था काश कोई ऐसा काम मिल जाये जिससे मेरे परिवार की सभी जरूरतें पूरी हो जाएं और मुझे जॉब भी ना छोड़नी पड़े आखिर भगवान की कृपा से वो काम मुझे मिल ही गया 3 महीने मैंने इस कंपनी में जैसे मुझे बताया गया वैसे करता गया अब मुझे यहाँ से 10000 रूपये महीना मिल रहे है और यहाँ किसी की गुलामी (नौकरी) नहीं करनी केवल दिन में 2 घंटे अपने android मोबाइल से (घर या ऑफिस कही भी बैठकर) वर्क करना होता है बस और हर महीने income दुगुनी होती जा रही है ।
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Laund ke baal tumhari ma na chodi to name badal dena bhen chod
ReplyDeleteWah re hlala k sample jihaadi
Deleteहम सब भाषा मां से सीखते हैं। तूने किससे सीखी? रसूल से?
Deleteयही इस्लाम की असलियत है।
ReplyDeleteमदरसा में और कुरान में भी सिवाय गाली गलोज के कुछ नहीं है
DeleteSach bardast nai hota na isiliye gali nikalti h
ReplyDeleteHimmat h to tark se bat karo
shi kha gud keep it up..??
DeleteIslam me kuchh kuritiya h dheere dheere door ho rhi h bhaiyo. Lekin Islam Ko Ganda Mt kaho
ReplyDeleteMughe karna hai ye kaam
ReplyDelete#जिस_मुआशरे_की_महिला काले टेंट में बंद रहे समझलो उस मुआशरे के मर्दो की नज़रों में फितूर है,
ReplyDeleteशुद्ध देशी भाषा में कहे तो आंखों में सुवर का बाल है😎