भाइयों चलिए जानते है इस्लाम के कुछ मिथक और मुल्लो के दलीलों के साथ उनका जवाब भी :-
पोपट मोहम्मद के कथन का मिथक :-
अघोरी आया भगवान शिव का एक नौकर था जिसका नाम अल्लाह उर्फ खुदा था । वह काम चोर था इसलिये एक दिन कार्तिकेय जी ने श्राप दिया की तुझे कोई मनुष्य नहीं पूजेगा । वह खुदा बहुत धूर्त था वह जानता था की शिव औघड़ दानी है जल्दी मान जायेंगे अत: उस अल्लाह ने मक्का के काबे मे शिवलिंग स्थापित कर पूजा करने लगा भगवान शिव प्रशन्न हो गये पूछा तुझे क्या वर चाहिए उसने कहा हे प्रभ ू आपसे संबंधित हर वस्तु पूजी जाती है जैसे -डमरू ,त्रिशूल नन्दी, चन्द्रमा, गंगा, ईत्यादी परंतु मै आपका सेवक हूँ मुझे कोई नहीं पूजता । शिव बोले मै कार्तिकेय के श्राप को नहीं काट सकता परंतु एक उपाय है तू बेवकूफ मनुष्यो को चुन ( उन्ही बेकुफो में से एक था पोपट मोहम्मद ) और उनका लिंग कटवाने के लिये उन्हें प्रेरित कर जब लिंग कट जायेगा तो वो मनुष्य नहीं रह जायेंगे तब वे तुम्हारी पूजा करेंगे । शिव बोले परंतु तेरे अनुयायीयों को जीवन मे कम से कम एक बार काबे के मेरे इस काले शिव लिंग की पूजा ब्राह्मण भेष धारण कर हिन्दू रीती से करनी होगी वर्ना तेरा नाम संसार से मिट जायेगा । इसलिये हर मुसलमान जीवन मे कम से कम एक बार ब्राह्मण भेष( सफेद वस्त्र धारण कर बाल व डाढी मुडाकर) हिन्दू रिती (परिक्रमा) करते हुवे उस काले शिवलिंग की पूजा कर ईस्लाम के विरूद्ध बूतपरस्ती करते हैं ।
१. इस्लाम इंसानियत सिखाता है .
जाहिर सी बात सीखाता होगा, क्योकि इस्लाम में सर्वधर्म समभाव नहीं है, और शायद कुरआन में इसी को इंसानियत कहते होंगे .
मुल्ला दलील : इस्लाम ऐसा कुछ नहीं सिखाता, इस्लाम सर्वधर्म समभाव है . ये सब इस्लाम विरोधी तत्वों के खराब कल पुरजो वाले दिमाग की उपज है .
जवाब : भाई यदि ऐसा है तो "जजिया कर " क्या है ?? जो अन्य धर्मो द्वारा मुसलमान शाशको को दिया जाता है यदि इस्लामी शाशन हो तो. अकबर जजिया कर हटा के महान बन गया , ठीक वैसे है जैसे कोई हत्यारा किसी की जान बख्श दे तो महान हो जाए जबकि एक शांति प्रिय राजा नहीं बन पाया क्योकि वो कसाई नहीं था की किसी की जान बक्श दे .
हाँ हिन्दुत्व जरुर सर्वधर्म समभाव के खिलाफ है, क्योकि हिंदू बहुल राष्ट्रों में मुसलमानों से जजिया जो नहीं लिया जाता, मुसलमानों से कजिया जो नहीं किया जाता, बल्कि उलट आरक्षण और अन्य सुविधाएँ दी जाती है, शर्म आणि चाहिए हिंदुओं को जो अपने अंदर इस्लामियत टाइप का सर्वधर्म नहीं ला पा रहें है .
वैसे आज की सरकार भी कुछ वैसा ही कर रही है, आतंकवादियों के समर्पण पे ढेरो इनाम और जो देश की सेवा कर के सेवा निर्वित्त हुयें हैं वो पेंशन के लिए दर दर की ठोकरे खा रहें हैं .
अब शायद कुछ मुल्ले इसको भी झूठ बता दें लेकिन पाठक समझदार है इतिहास उठा के पढ़ ले या गूगल से जान लें .
इस्लामी मंशा : हम तो डूबे हैं सनम सबको डूबोयेंगे . हम इस्लामी हैं चाहे गलत या सही , तुम्हे भी बनायेंगे , उलटे पुल्टे दलीलों से .
२. इस्लाम भाई चारा सिखाता है :
किसी भी इस्लामी देश में आप दूसरे धर्म की कोई भी संरचना नहीं बना सकते चाहे वो मंदिर हो या चर्च, क्योकि इस्लाम सर्वधर्म और भाई चारा सिखाता है .
मुल्ला दलील १ , ने कहा है अल्लाह के अलावा सब कुफ्र है . तो कम से कम जहाँ इस्लामी शाशन है वहाँ कुफ्र होने से रोका जाना चाहीये.
जवाब : भाई तो सर्वधर्म समभाव और भाई चारा का गला क्यों फाड़ते हो ?? क्यों नहीं खुल के कहते अपनी भाईचारे वाली बात ?
मुल्ला दलील २ : गैर इस्लामी होना मात्र काफिर होना नहीं है , ये इस्लाम विरोधी तत्वों की दिमाग की उपज है , आप कुरआन से ढंग से पढ़िए , ब्ला ब्ला ,.
जवाब : कुरआन पढ़ने वालो की देश की हालत और तरीका देख समझ में आ जाता है . ऊपर के तथ्यों में भी जवाब छिपे हैं , जजिया , कुफ्र इत्यादि , इस्लामिक देश में दूसरे धर्म के लोगो कियो छुप के उनके तौर तरीके मानने होते हैं .
इस्लामी मंशा : भाई चारे के आड़ में जब भी मौका मिले छुरा भोंक दो .
३ . इस्लाम देश प्रेम भी सिखाता है :
बिलकुल सिखाता होगा, कुरआन में जो लिखा है उसको मानना देश प्रेम ही होगा भले ही देश गर्त में चला जाए.
सूर्य नमस्कार वाले फतवा के दिन मै टीवी देख तरह था, उसमे एक मुल्ला जोर जोर से स्टार टीवी पे कह रहा था , की हम किसी का वंदन नहीं कर सकते, हमारे धर्म से सब छोटा है, चाहे हमारे माँ बाप हो या देश .
आब आप ही अंदाजा लगा लीजिए , वंदे मातरम किसी बंगाली कवी ने लिखी है, न की किसी हिंदी कवी ने, हाँ धर्म का हिंदू जरुर रहा होगा, लेकिन ये वंदे मातरम नहीं कह सकते भले ही वो देश प्रेम में हो लेकिन कुरआन से जो मेल नहीं खाता .. ( यहाँ इनकी सर्वधर्म समभाव और भाई चारे वाली बात का एक बार फिर खंडन हुआ है) . अब इन मुल्लो को कौन बताये की किसी इंसान के चहरे पे खुशी लाना ही धर्म है चाहे हो हिंदू हो या मुसलमान . उस देश से प्यार करना धर्म है, जहाँ हम रहते हैं चाहे वो हिंदू या मुसलमान, यदि इस्लाम देश से भी बड़ा है तो निश्चय ही ऐसा कुरआन में लिखा होगा .
भारत की जनसंख्या पिछले पचास सालों में जीतनी तेजी से मुसलमानों की बढ़ी है शायद ही किसी की बढ़ी हो. क्योकि इस्लाम नसबंदी नहीं सिखाता , जो भी पैदा हो वो खुदा की नेमत हैं , भले देश गर्त में चला जाये . जाहिर सी बात है इस्लाम देशप्रेम सिखाता है .
मुल्ला दलील : रावन के १०० पुत्र थे, रजा दशरत के चार , और पांडू के पांच पुत्र थे . बड़े आये नसबंदी की वकालत करने वाले .
जवाब: ऐसा था लेकिन उस समय की जनसंख्या और आज की जनसख्या में काफी अंतर है, सो हिंदू धरम के लोगो ने अपने को बदला और किसी धर्म पुस्तक में भी नहीं लिखा है की नसबंदी हरम है, उन्होंने देश और समस्याओं की परेशानी देख खुद में सुधार लाया, ताकि देश की समस्याएं कम हो, सो परिवार नियोजन अपना लिया. और इस तरह की सोच जाहिल हिंदू ही रख सकते हैं. ऐसा धर्म ही क्या जो समाज और देश के हित के लिए बदल जाए. धर्म तो वो है जो कभी न बदले चाहे समाज और देश गर्त में चला जाए. समाज और देश के बारे में सोचना, हिंदू जैसा घृणित धर्म ही कर सकता है, आज हिंदू के सवर्ण हो या दलित ( दिमाग से - जाती से दलित मै किसी को नहीं मानता ) भी परिवार नियोजन अपना चुके हैं , किसी के घर में भी आज दो से जादा संतान नहीं मिलते लेकिन मुसलमानों के घर में ट्रेन के डब्बे बन जाते हैं यदि इनके औलादों को एक के पीछे एक खड़े कर दो तो .
हमारी महान सरकार सरकार भी है बेहद अच्छी है , क्योकि परिवार नियोजन के विज्ञापनों में नीचे "नोट " नहीं डालती :- "ये विज्ञापन इस्लाम के मानने वालो के लिए नहीं है". आखिर धर्म - निरपेक्ष सरकार जो है .
मुल्ला दलील : नसबंदी कराने से काफी लोगो को परेशानिय हुई हैं ऐसा संज्ञान में आया है डॉक्टरों के.
जवाब : भाई तब खतना क्यों ?? उससे तो जन्म लेते ही परेशानी होती है . और रोग भी बढ़ता है ढेरो मामलो में .
यदि नस बंदी करने से खतरा है तो सारे हिंदू खतरे में जी रहें हैं . भाई गला भी काट के फींक दो क्योकि उसमे भी कैंसर होता है , टाँगे भी काट दो , क्योकि पोलियो तो वहाँ भी होता है .
मुल्ला दलील २ (नसबंदी पे ) : जो चीजें भगवान ने बनायीं हैं उनसे छेड़ छाड क्यों करना ??
जवाब : बिलकुल सही बात और सहमत , तो कटुवों भगवान जे जो जनेन्द्रिय दी है वो क्यों प्राकृतिक नहीं ?? क्या उसका निर्माण पैदा हो के तुम खुद करते हो ?? क्यों नहीं प्राकृतिक अवस्था में रहने देते ??? क्या इस्लाम दोगली विचारधारा रखना सिखाता है ???
इस्लामी मंशा : खतना करने सेक्स की भावना बढती है , जिससे जनसँख्या बढ़ाने में मदद मिलती है ,और नसबंदी न करा के इसी भावना को मजबूत किया जाता है .
मुल्लो का सारा देश प्रेम काफूर हो जाता है जब इनको ये कहा जाता है की देश के लिए नसबंदी क्यों नहीं कराते ? तब ये तत्काल देश को भांड में झोक कर अल्लाह हू लाफुअर का हवाला देते है .
४ . इस्लाम अच्छा और सबसे उच्च धर्म है .
मुल्ला दलील : इस्लाम की अच्छाईयों की वजह से इस्लाम मानने वाले तेजी से बढ़ रहें है .
जवाब : जाहिर सी बात है अच्छा धर्म है , सर्वधर्म समभाव इस्लाम सिखाता है , देश प्रेम इस्लाम सिखाता है ( जैसा की मैंने ऊपर लिखा है ) . इस्लाम के अनुयायी तेजी से बढ़ रहें हैं , नए नए , क्योकि ये अपनी संतानों को जो बिना नसबंदी की वजह से पैदा हो रहें हैं उनको तो ये मार देते हैं है शायद, और दूसरे धर्म वाले अपना रहें है इस्लामी अच्छाईयों की वजह से . सो इस्लाम बढ़ रहा है .
अरे भाई जिस धर्म में देश और तात्कालिक समस्यायों और परिस्थितयों को ताक पे रख जनसंख्या बढ़ाना लिखा हो वो तो बढ़ेगा ही न धरती का बोझ बन के .
इस्लामी मंशा : अपनी बुराईयों को भी अच्छाई बताओ मंद दलीलों से , और दूसरे से नफरत करते रहो .
५ . इस्लाम का मतलब है शान्ति :
मुल्ला दलील : इस्लाम शांति का प्रतीक है, जीवन के तरीके सिखाता है . वैज्ञानिक धर्म है .
जवाब : हाँ जी है शांति का प्रतीक, क्योकि धर्म के नाम पे जेहाद कर कुफ्र ( दूसरे धर्मो की पूजा आदि ) को रोकना शान्ति फैलाना है, काफिरों ( जो इस्लाम धर्म का न हो ) के भावनाओं को आहत करना कुरआन में शांति कहलाता है. वैज्ञानिक भी है, क्योकि मोहम्मद ने कहा है की प्रथ्वी चपटी है , और भूकंप न आये इसलिए पहाड़ पर्वत गाड़ दिए , जाहिर सी बात है एसी वैज्ञानिक बात इस्लामी धर्म का कुरआन ही कह सकता है, हिंदू धर्म के आर्यभट्ट ने तो बेवकूफ बनाया सबको. जन्नत में बत्तर हूरे की गाडना भी तो गणित और विज्ञानिक पद्दति से होती होगी, जो की मुसलमानों को मिलती है , हिन्दुओ में तो अप्सरा का सुनो है , लेकिन हिन्दुओ के मरने के बाद मिलती हैं या नहीं ये किसी धर्म में नहीं लिखा , जाहिर सी बात है इस्लाम वैज्ञानिक धर्म भी है .
इस्लामी मंशा : जहाँ भी रहो अपनी जनसंख्या बढाओ, शरियत लगाओ, क्योकि उसमे चार चार बीवियों से सेक्स करने को मिलेगा. और जहाँ कमजोर पडो वहाँ कुछ भी मंद्बुध्धि दलीले देते रहो , जहाँ मजबूत हो वहाँ क़त्ल कर दो.
अंत में सबसे बड़ी बात ये की इन्हें इनके खुद के निशानी से बुलाओ तो चिढते हैं बजाय इसके की गर्व करें , जरा "कटुवा " कह के देखिये . अरे भाई जब तुम्हारे धर्म ने तुम्हे कटुआ बनाया है तो चिढना क्या ?? गर्व से कहो की तुम कटुवा हो . अब हिंदू धर्म के यज्ञोपवीत संस्कार वाले को जनेऊधारी कहो तो गर्व महसूस करेगा , तो तुम्हारे खतना के बाद कटुवा कहलाने से एतराज क्यों ?? क्या इस्लाम के संस्कार इतने हराम है ..
साथ ही मेरा एक और लेख पढ़ें इस्लाम और इस्लाम की कुरीतियाँ (लिंक पर किल्क करें ) ..
बाकी की चर्चा भाग दो में .
Maadacod mula
ReplyDeleteAbe sale log or kuchh kam dhanda hai ki nahi
ReplyDeleteतेरी जली ना
ReplyDeleteShivam Kashyap : अब्दुल से,
ReplyDelete#अब्दुल_चल_यह_बता_हम गौ को माँ मानते है तुम्हे क्या तकलीफ़ होती है बे?
अब्दुल: देख शिवम तुम गौ को माँ मानो हमे कोई तकलीफ नही जब सायलो हम बकरी को भाभी जान मानते है तब तुम काहे चिढ़ते हो बे? बताओ बताओ?
शिवम: की बोलती बंद😶😶
The book of Pandit Chaamupati "Rangeela Rasool" should be published in english language.
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